Add To collaction

भटकती आत्मा भाग - 15


   भटकतीभटकती आत्मा भाग  –15 

जानकी और मनकू के पिता अस्पताल में थे। मनकू की सहेली उन लोगों में नहीं थी, उसके दिल में दर्द हो रहा था। कई दिनों से उसकी प्रेयसी नहीं आई थी,पता नहीं जैसी दुर्घटना उसके साथ घटी हो,तब भी तो वह नहीं आई | ऐसे वह चुप घर बैठने वाली नहीं थी। पता नहीं अब उनसे मुलाकात कब हुई। लगता है दिल की चेन छिन गई है। डॉक्टर साहब कभी उसके साथ अपनी बेटी को नहीं ब्याहेंगे। ये प्यार ही काफी है. मुझे लगता है कि अब यह बात उसे समझ में नहीं आ रही है। अच्छा यही हुआ कि उस दिन दुर्घटना में उसके गले में चोट लग गई। तब यह विरह व्यथा तोसे न जलाता। मैगनोलिया को अपने पिता से छोड़ा तो न सिद्धांत। लेकिन कहाँ होती है मन की चाहत पूरी। होता तो वही है जो ईश्वर को स्वीकार हो।
उसके पिता को भी नशीली दवा दारू के लिए जमीन तक गिरवी रखने की कैसी मजबूरी है, फिर भी फल के अलावा पैसे भी खत्म हो गए हैं। गरीबी भी एक अभिशाप ही है। अच्छा होता अगर मुझे छुट्टी ही मिल जाती अस्पताल से। किसको कहे वो,डॉक्टर भी तो नहीं मन रहे हैं अपनी बात।
  "डियर माइकल"- कहा गया मैगनोलिया लगभग उसकी अगली पहुंच थी | विस्मय-विमुग्धा होता है मनकू अपनी प्रेयसी को ही देखता रह गया | तुरंत ही उसके मन में ‍मैरी ‍प्रशंसाहा के अतिरेक से ‍जुमने लगा। जानकी और बुजुर्ग को देखकर मैगनोलिया अद्भुत हो गई, फिर उनकी स्टेटस हुई उसने मनकू से पूछा - "कैसे हो डायर"?
  "ठीक है तो हूं, मैगनोलिया | तुम मेरे कारण बहुत परेशान हो गई हो, ऐसा मुझे दिखता है"|
"अरे वो तो होता ही रहता है, छोड़ो मेरी परेशानी को; बाद में बताऊंगी कि क्या हुआ था | अभी तो पता चला कि डॉक्टर ने क्या कहा है"|
  डॉक्टर तो वैकल्पिक रूप से मुझे रोके हुए हैं, घर भेजता है तो अच्छा होता है।''
"नहीं, ठीक है पर जाना अच्छा ही होगा। लो इन फलों को खाओ, तब तक मैं डॉक्टर से मिलता हूं"|
बिक्री बढ़ी मैगनोलिया एक तरफ बढ़ी | जानकी और वे बुजुर्ग उस भोली भाली अंग्रेजी बाला को देखते ही रह गए। लेश मात्रा भी परायापन नहीं था उसके व्यवहार में। काश यह उस वृद्ध की पुत्रवधू बन सकती है। लेकिन उसकी किस्मत ऐसी नहीं है l दु:ख ही दु:ख उसकी किस्मत में लिखा है |
  "क्या डॉक्टर ने दवा लिखी है,और आपने अभी तक नहीं ली क्या"?
  मनकू ने कहा - "नहीं"|
   "अच्छा, मैं यह लेकर आता हूं, तब बातें करूंगा" - बोली गई मैगनोलिया निकल अस्पताल से | मैनकूसेस आउटलुक व्यू ही राह गया। 
जानकी ने कहा - "कैसे साफ दिल की है ये लड़की"|
  मनकू मन ही मन अपनी आर्थिक विपन्नता के कारण खिझ रहा था। कुछ देर बाद मैंगनोलिया दवा लेकर आ गया। मनकू ने वृद्ध का परिचय द हेल्प से दिया, उसने चित्रांकन से कहा। जानकी से तो पहले ही अज्ञात हो गई थी।
मैगनोलिया धीरे-धीरे मनकू से कुछ कहती रही।
   
  
     - × - × - × -      
        

        रेनबो क्लब रात में भी दुल्हन की तरह सजा सांवरा था। रंग-बिरंगे विद्युत प्रकाश से स्नात और रंग-बिरंगे पर्दों में लोना वह क्लब इंग्लैंड के मनोरंजन का प्रसिद्ध केंद्र था। मैगनोलिया को आज विशेष कारण से आवेदक साहब अपने साथ वहां ले आए थे। अपने एक दोस्त के बेटे को उन्होंने भारत बुलाया था,उस लड़के के साथ वे अपनी बेटी की शादी करना चाहते थे। वह आज ही इंग्लैंड से आई थी और ऑफिस में बॉस साहब से मिली थी। समूह सामूहिक साहब बहुत उत्साहित थे, और अपने यहाँ ही उनके रहने की व्यवस्था कर चुके थे। लेकिन मैगनोलिया से उसका परिचय नहीं दिया गया। वे चाहते थे कि रेनबो क्लब में उस युवा से उसका परिचय अचानक भरा जाए, साथ ही उसे यहां रहने के लिए आमंत्रित किया जाए, जिसे मैगनोलिया को जरा भी संदेह न हो। 
  क्लब में ज्यों ही नामांकित साहब का आगमन हुआ,अभिवादन के उत्तर प्रत्युत्तर का क्रम शुरू हुआ। सबसे ज्यादा हंसी-मजाक कर मिलने लगी, क्योंकि सबसे तो वह परिचित थी।
   एक स्मार्ट ब्रिटिश नवयुवक अकेला ही कुर्सी पर बैठा था। टेबल पर कांच की बोतल की रैकिंग हुई थी, तथा ग्लास में शराब आधा बचा हुआ था वह शायद क्लब के सदस्य से बना था। डॉक्टर साहब उस युवा के सबसे अजीब बोले - "हेलो जॉनसन आप यहां कैसे"?
  युवा कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मुस्कुराता हुआ बोला - "डियर अंकल गुड इवानिंग! मैं आज ही इंग्लैंड से यहाँ आया हूँ। क्लब में ही मेरा सामान भी है। कहाँ पर ठहरूंगा यह मैंने अभी नहीं सोचा है"|
  "यह मेरा डॉटर मैगनोलिया है और यह मेरे दोस्त विलियम राडरफोर्ड के सुपुत्र मिस्टर विलियम जॉनसन"|
कलेक्टर साहब ने इंट्रोडक्शन दिया और सामने की कुर्सी पर उसे बैठने का इशारा किया |
 मैगनोलिया ने भी "ग्लैड टू मीट यू" -  सामान्य भाव से कह दिया। 
    "तुम्हारा भारत आने का क्या उद्देश्य है"?
कलेक्टर साहब ने अनाभिज्ञता प्रकट करते हुए पूछा।
   "मैं भारत घूमने के विचार से आया हूँ" - युवक ने कहा।
"फिर कुछ दिन तुम मेरे यहां रुक जाओ, यहां भी देखने को बहुत कुछ है। फिर अन्य शहरों में जाना। यहां मैगनोलिया तुम्हें सब कुछ दिखा देगी। "
    "ठीक है, जैसा आप कहें । मैं आपके यहाँ ही रुक जाता हूँ"- युवा नम्रता दिखाता हुआ बोला |
  इसके बाद कई और बातें हुईं। घर, परिवार, राजनीति, अध्ययन, संबद्ध अन्य बहुत सी बातें। मैगनोलिया अनामने भाव से सब कुछ डेस्टिनेशन सुनती रही | फिर कुछ देर बाद यह लोग अपने बंगले की ओर चल पड़े |

             क्रमशः

   निर्मल कारण 

   18
0 Comments